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रबीन्द्रनाथ टैगोर

कवि

रबीन्द्रनाथ टैगोर (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) - विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।

भूतों के निवास कुलधरा

कुलधरा गाँव जहाँ आज भी है भूतों का निवास
सोचिए कि आप लॉन्ग ड्राइव पर जा रहे हों, रास्ते में कुलधरा गाँव पड़ता हो तो आप क्या करेंगे? आप को पता लग जाएगा कि यह एक शापित गाँव है, जहाँ रात को कोई भी नहीं जाता या ठहरता तो वहाँ जाना सुरक्षित नहीं है। इसलिए आप को भी वहाँ शाम के बाद जाने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा मना कर दिया जाएगा। आइए समझते हैं इसके पीछे की कहानी कि क्यों इस गाँव को ऐसा शाप मिल गया और क्यों यहाँ पर शाम के बाद कोई भी आता नहीं है।

कहाँ पर है कुलधरा गाँव
कुलधरा गाँव राजस्थान के जैसलमेर शहर से 18 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम दिशा में 13 वीं शताब्दी में बसा ये गाँव एक समय पर पालीवाल ब्राह्मणों का एक समृद्ध गाँव था। यहाँ रहने वाले ये ब्राह्मण पाली से आए थे, इसलिए पालीवाल कहलाए। इस गाँव के बारे में बहुत अधिक तो वर्णन किताबों में नहीं मिलता है परंतु 1899 में लिखी गयी इतिहास की एक किताब ज़रूर है तवारीख-ए-जैसलमेर, जिसके लेखक लक्ष्मी चंद ने इस गाँव का ज़िक्र किया है। इस किताब के अनुसार काधन नाम का एक पालीवाल ब्राह्मण इस गाँव में आने वाला पहला व्यक्ति था और उसने वहाँ पर एक तालाब की खुदाई करवायी थी। इस तालाब को लोगों ने उधनसर नाम से बुलाना शुरू किया था।

क्यों आज भी शापित है कुलधरा गाँव
यह गाँव शापित क्यों हुआ इसका लिखित वर्णन किसी भी किताब में तो नहीं मिलता है और एक पुरानी कहावत है कि इतिहास में नाम और तारीखों के अलावा कुछ भी सच नहीं होता जबकि फिक्शन में सिवाय नाम और तारीखें के सब कुछ सच होता है। इसलिए निश्चित आधार पर इसके बारे में कुछ भी कहना शायद संभव नहीं है परंतु इसके बारे में एक कहानी जो बहुत पुराने समय से चली आ रही है, उसी को ही सच माना जाता है।

19वीं शताब्दी में इस गाँव का और इसके आस-पास के इलाके का काम-काज यहाँ के मुख्य शासक सलीम सिंह के हांथों में था जो कि एक बदचलन इंसान था और गाँव की बहु-बेटियों पर अक्सर उसकी गंदी नज़र रहती थी। हद तो तब हो गयी जब उसकी गंदी निगाहें वहाँ के मुखिया की बेटी पर भी पड़ गयी। उसने गांव के लोगों को धमकी दी कि अगर उसकी बात मान कर वो लड़की उसे नहीं सौंपी गयी तो वो भयंकर टैक्स लगाएगा।

गाँव के लोगों को डराने के लिए और उसने लड़की को सौंप देने को मजबूर करने के लिए अपने सिपाही भेजे। गाँव वालों ने उन सिपाहियों को अगले दिन सुबह लौटने के लिए कहा और उसी दिन रात में ही गाँव छोड़ दिया। लेकिन जाने से पहले पवित्र ब्राह्मणों ने कुलधरा गाँव को श्राप दे दिया कि उनके बाद इस गाँव में कोई भी नहीं बस पाएगा। ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों ने भी इस गाँव को फिर से बसाने की कोशिश की, उनको बेहद डरावने अनुभव हुए। ख़ास कर कि रात में यहाँ पर कई अजीबोगरीब घटनायें हुईं थीं जिसके बाद लोगों ने यहाँ शाम के बाद आना ही छोड़ दिया।

वैसे भारत सरकार ने इस गाँव की लोकप्रियता को देखते हुए यहाँ के पर्यटन को बढ़ावा दिया है और दिन में तो यहाँ पर काफी लोग आते हैं परंतु सूरज डूबने के बाद आज भी ये गाँव पूरी तरह से सुनसान हो जाता है, इसलिए आप भी रात के अँधेरे में वहाँ बिल्कुल ना जायें!

दिन के समय का पर्यटन स्थल है ये भुतहा गाँव
दिलचस्प बात ये है कि हाल ही में एक नए तरीके का पर्यटन दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है और वह है डरावनी भूतिया जगहों को देखने का पर्यटन। हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है, प्रेतबाधित जगहों को देखने के लिए लोगों की दिलचस्पी बहुत बढ़ी है। आजकल यह गाँव भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में रहता है। यही कारण है कि कई अन्य भयानक डरावनी जगहों की तरह कुलधरा को देखने के लिए काफी सैलानी आते हैं पर सिर्फ दिन में क्योंकि शाम का सूरज ढलते ही यहाँ की सीमा पर रहने वाले इस का ख़्याल रखने वाले लोकल लोगों और प्रशासन की तरफ से एंट्री गेट बंद दिया जाता है ताकि यहाँ रात के समय कोई ना आ पाए।

आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि अब इस चर्चित जगह को देखने के लिए दिन में टिकट भी लगता है। यहाँ का प्रति व्यक्ति टिकट 10 रूपए है और यदि आप कार से इसकी सीमा में प्रवेश करते हैं तो आपको 50 रूपए एंट्री फीस देनी होती है। और तो और, अन्य डरावनी और चर्चित जगहों की तरह यहाँ पर भी आपको अच्छी सुविधाओं वाले एक से एक अच्छे होटल भी मिल जायेंगे, उनमें से कुछ का नाम तो कुलधरा के ही नाम पर है।

यहाँ के विलेज थीम पर बने आधुनिक सुविधाओं वाले रिसॉर्ट आपको गाँव वाली जगह का अनुभव करायेंगे और मशहूर राजस्थानी मेहमान नवाज़ी के साथ आपको यहाँ के तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिलेंगे। आप आम तौर पर यहाँ जब तक सूरज की रौशनी रहती है यानी सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक इस जगह को देखने के लिए आ सकते हैं

परंतु आने के पहले अगर सूरज डूबने के समय के अनुसार आप बंद होने का समय आधिकारिक तौर पर प्रशासनिक वेबसाइट से चेक कर लें, तो अच्छा रहेगा। यहाँ पर अजीब सा पसरा डरावना सन्नाटा देख कर अक्सर ही लोगों को इस जगह के ख़ौफ़ का अहसास भी होता है, फिर भी लोग यहाँ इतनी संख्या में आते हैं, है ना हैरानी की बात!

अगर आप भी ऐसी चर्चित भूतिया और डरावनी जगहों को देखने का शौक़ रखते हैं तो जाइए, ज़रूर घूमने जाइए क्योंकि यह जगह आख़िर जैसलमेर और राजस्थान की सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों की सूची में अक्सर ही सबसे ऊपर रहती है। चूँकि भारत सरकार ने इस गाँव की लोकप्रियता को देखते हुए यहाँ के पर्यटन को बढ़ावा दिया है और दिन में तो यहाँ पर काफी लोग आते हैं परंतु सूरज डूबने के बाद आज भी ये गाँव पूरी तरह से सुनसान हो जाता है, इसलिए आप भी रात के अँधेरे में वहाँ बिल्कुल ना जायें!

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