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परछाईयाँ
अगर परछाईयाँ कद से और बातें औकात से बड़ी होने लगे, तो समझ लीजिये की सूरज डूबने ही वाला है…उपदेश से करनी भली - हिंदी कहानीएक गाँव में एक बूढ़ा मुखिया रहता था। काफी उम्र हो जाने के बाद वह एक उपदेशक बन गया अपने गाँव के चौपाल पर बैठ कर वह लोगों...
नई शुरुआत
चल जिंदगीनई शुरुआत करते है,जो उम्मीद औरो से की थीवो अब खुद से करते है…अच्छी सोच - हिंदी कहानीएक महान विद्वान से मिलने के लिये एक दिन रोशनपुर के राजा आये। राजा ने विद्वान से पुछा, ‘क्या इस दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति है जो बहुत महान हो लेकिन उसे दुनिया वाले नहीं जानते...
लोकप्रिय लेख
जिंदगी
जिंदगी को कभी - कभी अपने पन्ने खुद लिखने दो, रोको मत, बह जाने दो, खुद को, आकाश में, जिंदगी को जिंदगी दे दो…- श्रीकांत शर्माघमंड कभी न करने का ज्ञानतो बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद अपने लोकप्रिय शिकागो धर्म...
मानसिकता
सब कुछ मानसिकता से होती है, कुछ भी तथ्य नहीं है, यह सब मन की समझ है सीखो और जाग जाओ…जब प्रभु श्याम ने गार्ड साहब की नौकरी कीयह प्रश्न सदियों से चला आ रहा है कि इस सृष्टि में कौन बड़ा है...
अगर परछाईयाँ कद से और बातें औकात से बड़ी होने लगे, तो समझ लीजिये की सूरज डूबने ही वाला है…उपदेश से करनी भली - हिंदी कहानीएक गाँव में एक बूढ़ा मुखिया रहता था। काफी उम्र हो जाने के बाद वह एक उपदेशक बन गया अपने गाँव के चौपाल पर बैठ कर वह लोगों को यही समझाया करता था कि अगर जीवन में सुख-समृद्धि से रहना है, तो कभी किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए।एक बार एक युवक उस गाँव से गुजर रहा था, उसके कान में भी उस बूढ़े की बात पड़ी। उसे उसकी बात बहुत अच्छी लगी।उसे, उस बूढ़े से मिलकर कुछ और बात करने की उत्सुकता हुई। तो उसने बूढ़े से फिर पूछा, बाबा, जीवन में शांति से रहना है तो क्या करना चाहिए?बूढ़े ने फिर वही बात दोहराया, यदि शांति से रहना चाहते हो तो कभी किसी पर क्रोध मत करना, चाहे तुम्हारे सामने जो भी परिस्थिति हो, क्योंकि क्रोध विवेक को खा जाता है और फिर इंसान सही गलत का भेद भूल जाता है।युवक ने पूछा, जी, क्या कहा आपने? मैंने कहा कि तुम जीवन में कभी किसी पर क्रोध मत करना।युवक ने बात नहीं सुनने का नाटक किया और फिर पूछा, जी, मैंने सुना नहीं, क्या करना चाहिए, क्या कहा आपने ? बूढ़े ने कहा, अरे भाई, किसी पर किसी भी परिस्थिति में क्रोध नहीं करना चाहिए, यही जीवन में सुखी रहने का मंत्र है।युवक ने फिर बात नहीं सुन पाने का नाटक किया और बोला, बाबा, मैं आपकी बात सुन नहीं पाया, क्या कहा था आपने? बाबा...