होमकविता
जिंदगी
जिंदगी को कभी - कभी अपने पन्ने खुद लिखने दो, रोको मत, बह जाने दो, खुद को, आकाश में, जिंदगी को जिंदगी दे दो…- श्रीकांत शर्माघमंड कभी न करने का ज्ञानतो बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद अपने लोकप्रिय शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण के बाद भारत वापस आ गये थे।...
अपने आप से
हमने सब कुछ दुआ पे छोड़ दिया, तुम से मिलना खुदा पर छोड़ दिया, तुम बस अपने आप से मत हारना, फिर हमें कोई हरा नहीं सकता…तालाब वाला राक्षस - हिंदी कहानीएक बार की बात है, एक जंगल में एक तालाब था। जंगल के सभी जानवरों का मानना था कि उस तालाब में...
लोकप्रिय लेख
पहले
गलती ये हुई की क़ामयाब,होने से पहले इश्क़ कर लिया।बच्चे और पुस्तकएक सुनहरे दिन, गर्मियों का समय था, एक छोटे से गाँव में एक छोटा सा गरीब बच्चा नामक राजू रहता था। राजू के पास खुद का खेलने के लिए खिलौने नहीं थे, और...
चाँद के 50 महत्वपूर्ण तथ्य
चाँद पृथ्वी का साथी ग्रह है।चाँद का आकार पृथ्वी के तुलना में बहुत छोटा है।चाँद पृथ्वी से लगभग 384,400 किलोमीटर की दूरी पर है।चाँद की कक्षा गोल है और इसकी आयतनिक दिशा नहीं होती।चाँद के दो पहलु नहीं दिख सकते हैं क्योंकि यह हमेशा...
जिंदगी को कभी - कभी अपने पन्ने खुद लिखने दो, रोको मत, बह जाने दो, खुद को, आकाश में, जिंदगी को जिंदगी दे दो…- श्रीकांत शर्माघमंड कभी न करने का ज्ञानतो बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद अपने लोकप्रिय शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण के बाद भारत वापस आ गये थे। अब उनकी चर्चा विश्व के हर देश में हो रही थी। सब लोग उन्हें जानने लगे थे।स्वामी जी भारत वापस आकर अपने स्वभाव अनुरूप भ्रमण कर रहे थे। इस समय वे हिमालय और इसके आसपास के क्षेत्रों में थे। एक दिन वो घूमते घूमते एक नदी के किनारे आ गये। वहां उन्होंने देखा कि एक नाव है पर वह किनारा छोड़ चुकी है। तब वे नाव के वापस आने के इंतजार में वहीं किनारे पर बैठ गए।एक साधु वहां से गुजर रहा था। साधु ने स्वामी जी को वहां अकेला बैठा देखा तो वह स्वामी जी के पास गया और उनसे पूछा, तुम यहां क्यों बैठे हुए हो?स्वामी जी ने जवाब दिया, मैं यहां नाव का इंतजार कर रहा हूं।साधु ने फिर पूछा, तुम्हारा नाम क्या है?स्वामी जी ने कहा, मैं विवेकानंद हूं।साधु ने स्वामी जी का मजाक उड़ाते हुए उनसे कहा, अच्छा! तो तुम वो विख्यात विवेकानंद हो जिसको लगता है कि विदेश में जा कर भाषण दे देने से तुम बहुत बड़े महात्मा साधु बन सकते हो।स्वामी जी ने साधु को कोई जवाब नहीं दिया।फिर साधु ने बहुत ही घमंड के साथ, नदी के पानी के ऊपर चल कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।कुछ दूर तक चलने के...