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रबीन्द्रनाथ टैगोर

कवि

रबीन्द्रनाथ टैगोर (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) - विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।

मोड़

किधर जाता है जीवन को छोड़
तेरी इस राह के
हर किनारे पर है मोड़,
मुड़ जा नहीं तो खो जायेगा
फिर अपनी करनी पर पछतायेगा,
बड़ा आसान है खो जाना
मस्ती के जीवन में रम जाना,
जीवन ये नहीं प्यारे
राह अगर कठिन ना हो,
तब इस जीवन का क्या करना है
मस्त रह कर, आखिर में रोना है,
कमाल रहा है इस जीवन का
ये मौका देती है सबको,
मुड़ जा इसी मोड़ से
नहीं तो फिर पछतायेगा,
इस क्रूर दुनिया में प्यारे
अकेला ही रह जायेगा…

– श्रीकांत शर्मा

सपने देखने वाला आदमी – हिंदी कहानी

बहुत समय पहले की बात हैं, एक व्यक्ति था जो बेहद आलसी और साथ ही साथ गरीब भी था। वह कुछ भी मेहनत नहीं करना चाहता था। लेकिन अमीर बनने का सपना देखता रहता था। वह भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करता था।

एक सुबह उसे भिक्षा के रूप में दूध से भरा एक घड़ा मिला। वह बहुत प्रसन्न हुआ और दूध का घड़ा लेकर घर चला गया।

उसने दूध को उबाला, उसमें से कुछ दूध पिया और बचा हुआ दूध, एक बर्तन में डाल दिया। दूध को दही में बदलने के लिए उसने बर्तन में थोड़ा सा दही डाला। इसके बाद वह सोने के लिए लेट गया।

वह सोते समय दही के बर्तन के बारे में सोचने लगा।

उसने सोचा; “सुबह तक दूध दही बन जायेगा। मैं दही को मथकर उससे मक्खन बना लूंगा। फिर मक्खन को गर्म करके उससे घी बना लूंगा। फिर घी को बाजार में जाकर उसे बेच दूँगा और कुछ पैसे कमा लूंगा। उस पैसे से मैं एक मुर्गी खरीदूंगा। मुर्गी अंडे देगी, उन अंडो से बहुत सारे मुर्गे मुर्गी पैदा होंगे। फिर ये मुर्गियां सैकड़ों अंडे देगी और मेरे पास जल्द ही एक पोल्ट्री फार्म होगा।” वह कल्पना में डूबा रहा।

फिर उसने सोचा, “मैं सारी मुर्गियां बेच दूंगा और फिर कुछ गाय भैंस खरीद लूंगा और दूध की डेयरी खोल दूंगा। शहर के सभी लोग मुझसे दूध खरीदने आएंगे और मैं बहुत जल्दी ही अमीर हो जाऊंगा। फिर में अमीर परिवार की खूबसूरत लड़की से शादी कर कर लूंगा। फिर मेरा एक सुंदर सा बेटा होगा। अगर वह कोई शरारत करेगा तो मुझे बहुत गुस्सा आएगा और उसे सबक सिखाने के लिए मैं उसे डंडे से ऐसे मारूंगा।”

यह सोचने के दौरान उसने बिस्तर के बगल में पड़ा डंडा उठाया और मारने का नाटक करने लगा। यही डंडा उसके दूध के बर्तन में लग गया और दूध का बर्तन टूट गया, इससे सारा दूध जमीन पर फैल गया।

बर्तन की आवाज सुनकर उस आदमी की नींद उड़ गई। फैला हुआ दूध देखकर उसने अपना सिर पकड़ लिया।

शिक्षा: दोस्तों सपने देखो, लेकिन खाली सपने देखने से कुछ नहीं होगा। हमें कड़ी मेहनत करनी होगी। कुछ भी जिंदगी में आसानी से नहीं मिलता हैं। हमारी जिंदगी को बेहतरीन बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। क्योंकि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।

अगर आप केवल सपने ही देखते रहते हैं उनको साकार करने के लिए कोई कदम नहीं उठाते हैं, तो ऐसा करके आप खुद को धोखा दे रहे हैं। इसलिए पहले खुद का 100% दीजिए, फिर सफलता खुद आपके कदम चूमने आएगी।

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