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मानसिकता
सब कुछ मानसिकता से होती है, कुछ भी तथ्य नहीं है, यह सब मन की समझ है सीखो और जाग जाओ…जब प्रभु श्याम ने गार्ड साहब की नौकरी कीयह प्रश्न सदियों से चला आ रहा है कि इस सृष्टि में कौन बड़ा है ? भक्त या भगवान ? सभी व्यक्तियों के इस संबंध...
बातो का
किसी समय चंद्रमा बहुत सुंदर था। हर दिन उसका चेहरा खिला ही रहता था और चाँदनी पूरी रात छिटकी रहती थी। कुछ दिन बाद चाँद पर मनहूसी सवार हुई। वह चुप रहने लगा, हँसने और मुस्कुराने की आदत छोड़कर वह मुँह लटकाए बैठा रहता...
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मानसिकता
सब कुछ मानसिकता से होती है, कुछ भी तथ्य नहीं है, यह सब मन की समझ है सीखो और जाग जाओ…जब प्रभु श्याम ने गार्ड साहब की नौकरी कीयह प्रश्न सदियों से चला आ रहा है कि इस सृष्टि में कौन बड़ा है...
सब कुछ मानसिकता से होती है, कुछ भी तथ्य नहीं है, यह सब मन की समझ है सीखो और जाग जाओ…जब प्रभु श्याम ने गार्ड साहब की नौकरी कीयह प्रश्न सदियों से चला आ रहा है कि इस सृष्टि में कौन बड़ा है ? भक्त या भगवान ? सभी व्यक्तियों के इस संबंध में अलग - अलग मत हैं। अधिकांश लोगों का यही कहना है कि भगवान बड़े हैं तो कुछ कहते हैं भक्त। लेकिन हमारी पौराणिक गाथाओं में भी ऐसा कितनी बार हुआ है की जब स्वयं भगवान को भी भक्तों के सामने झुकना पड़ा है।क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि जब प्रभु अपने भक्तों की सच्ची भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं तो वे भक्तों के दास तक बन जाते हैं। ऐसी ही एक घटना अपने देश भारत के मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में घटित हुई। यह वह अदभुत घटना थी जब गार्ड साहब की नौकरी करने खुद परमपिता परमेश्वर निकल पड़े।आज हम यह जानेंगे कि यह पूरी चमत्कारिक घटना क्या है कि जब अपने परम भक्त गार्ड साहब की अनुपस्थिति में उनके प्रभु ने खुद उनकी नौकरी की। आज हम यह जानेंगे कि यह गार्ड साहब कौन थे? ऐसी क्या बात हुई जिसके कारण भगवान को स्वयं गार्ड साहब की सहायता के लिए उनकी नौकरी करने के लिए जाना पड़ा?आज हम यह भी जानेंगे कि रेलवे के गार्ड साहब के साथ हुई इस अदभुत घटना का वास्तविक सत्य क्या है? इस घटना में कितनी हकीकत है और कितना फसाना है। यह अनोखी कहानी वर्षों पुरानी है। दरअसल यह पूरी घटना...