जिंदगी
जिंदगी को कभी - कभी अपने पन्ने खुद लिखने दो, रोको मत, बह जाने दो, खुद को, आकाश में, जिंदगी को जिंदगी दे दो…- श्रीकांत शर्माघमंड कभी न करने का ज्ञानतो बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद अपने लोकप्रिय शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण के बाद भारत वापस आ गये थे।...
मानसिकता
सब कुछ मानसिकता से होती है, कुछ भी तथ्य नहीं है, यह सब मन की समझ है सीखो और जाग जाओ…जब प्रभु श्याम ने गार्ड साहब की नौकरी कीयह प्रश्न सदियों से चला आ रहा है कि इस सृष्टि में कौन बड़ा है ? भक्त या भगवान ? सभी व्यक्तियों के इस संबंध...
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जिंदगी
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जिंदगी को कभी - कभी अपने पन्ने खुद लिखने दो, रोको मत, बह जाने दो, खुद को, आकाश में, जिंदगी को जिंदगी दे दो…- श्रीकांत शर्माघमंड कभी न करने का ज्ञानतो बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद अपने लोकप्रिय शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण के बाद भारत वापस आ गये थे। अब उनकी चर्चा विश्व के हर देश में हो रही थी। सब लोग उन्हें जानने लगे थे।स्वामी जी भारत वापस आकर अपने स्वभाव अनुरूप भ्रमण कर रहे थे। इस समय वे हिमालय और इसके आसपास के क्षेत्रों में थे। एक दिन वो घूमते घूमते एक नदी के किनारे आ गये। वहां उन्होंने देखा कि एक नाव है पर वह किनारा छोड़ चुकी है। तब वे नाव के वापस आने के इंतजार में वहीं किनारे पर बैठ गए।एक साधु वहां से गुजर रहा था। साधु ने स्वामी जी को वहां अकेला बैठा देखा तो वह स्वामी जी के पास गया और उनसे पूछा, तुम यहां क्यों बैठे हुए हो?स्वामी जी ने जवाब दिया, मैं यहां नाव का इंतजार कर रहा हूं।साधु ने फिर पूछा, तुम्हारा नाम क्या है?स्वामी जी ने कहा, मैं विवेकानंद हूं।साधु ने स्वामी जी का मजाक उड़ाते हुए उनसे कहा, अच्छा! तो तुम वो विख्यात विवेकानंद हो जिसको लगता है कि विदेश में जा कर भाषण दे देने से तुम बहुत बड़े महात्मा साधु बन सकते हो।स्वामी जी ने साधु को कोई जवाब नहीं दिया।फिर साधु ने बहुत ही घमंड के साथ, नदी के पानी के ऊपर चल कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।कुछ दूर तक चलने के...