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रबीन्द्रनाथ टैगोर

कवि

रबीन्द्रनाथ टैगोर (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) - विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।

मैं शराबी क्यूँ हुआ

ये ना पूछ – मैं शराबी क्यूँ हुआ
बस यूँ समझ ले,
गमों के बोझ से,
नशे की बोतल सस्ती लगी…

बेचारे पर्यटक – हिंदी कहानी

एक बार मुल्ला नसीरुद्दीन मक्का और मदीना की यात्रा पर निकलते हैं। तीर्थयात्रा करते हुए जब वह मक्का पहुंचे, तो उन्हें मस्जिद के बाहर एक परेशान पर्यटक घूमता दिखा। उस वक्त पर्यटक की नजर भी मुल्ला पर पड़ी। वह तुरंत मुल्ला नसरुद्दीन के पास पहुंचा और कहने लगा कि आप यही के रहने वाले लगते हैं। क्या आपको इस मस्जिद के बारे में कुछ पता है, जो आप मुझे बता सकते हो।

मुल्ला को उस पर्यटक की बात कुछ समझ नहीं आई। तब उसने समझाया कि वह घूमने के लिए मक्का आया है, लेकिन उसकी पर्यटक वाली किताब कहीं खो गई है। उस किताब की मदद से वह हर जगह के बारे में अच्छे से समझ लेता है और वहां कि सभी जानी-मानी जगह घूमता है। अब किताब न होने की वजह से मस्जिद के बारे में कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।

यह सब सुनकर मुल्ला उससे कहते हैं कि मुझे इस मस्जिद और यहां कि सभी जगह के बारे में अच्छी तरह से पता है। मैं तुम्हें इस मस्जिद के बारे में सबकुछ बता सकता हूं। मुल्ला बहुत जोश के साथ पर्यटक को मस्जिद और आसपास की जगह के बारे में बताना शुरू करते हैं। वह कहते हैं कि इस मस्जिद को महान सिकंदर ने अरब में जीत हासिल करने की निशानी के तौर पर बनवाया था।

मुल्ला की बातें पर्यटक गौर से सुनने लगता है। तभी उसे ख्याल आता है कि महान सिकंदर यूनानी थे न कि मुस्लिम। फिर वह मुल्ला से कहता है कि मेरी जानकारी के अनुसार सिकंदर यूनानी थे, मुस्लिम नहीं। मुल्ला हंसते हुए कहते हैं कि आप पूरी बातें नहीं जानते हैं। उस जंग में जीत से सिकंदर को बेशुमार दौलत मिलती है। इसे उसने अल्लाह की मेहरबानी समझकर इस्लाम कबूल कर लिया था।

मुल्ला की बातों का जवाब देते हुए पर्यटक कहता है कि सिकंदर के दौर में दुनिया में इस्लाम का अस्तित्व ही नहीं था। मुल्ला कहते हैं कि तुम्हरी बात सही है, लेकिन जंग खत्म होने के बाद उन्होंने एक नए धर्म की स्थापना की थी। उसी धर्म को इस्लाम के नाम से जाना गया और सिकंदर इस्लाम धर्म के प्रवर्तक बन गए।

पर्यटक ने मुल्ला की बातें सुनने के बाद मस्जिद की ओर देखते हुए कहा है कि मेरी जानकारी के अनुसार, इस्लाम धर्म के प्रवर्तक का नाम मोहम्मद हजरत था। इस बारे में मैंने किसी किताब में भी पढ़ा है। मुल्ला कहते हैं कि तुम्हारी जानकारी सही है, लेकिन पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। सिकंदर को ही मोहम्मद हजरत कहा जाता है। उन्होंने नए धर्म को अपनाने के बाद अपना नाम बदलकर मोहम्मद हजरत कर दिया था।

पर्यटक कहता है कि यह हैरान करने वाली जानकारी है। फिर वह मुल्ला से पूछता है, लेकिन सिकंदर यानी अलेक्जेंडर का दौर मोहम्मद हजरत से कई सदियों पहले का था। फिर मुल्ला हंसते हुए कहते हैं कि शायद तुम किसी दूसरे सिकंदर की बात कर रहे हो। मैं तुम्हें उस सिकंदर के बारे में बता रहा था, जिसे सब मोहम्मद के नाम से जानते थे।

कहानी से सीख – अपनी जानकारी पर भरोसा रखना चाहिए। कई बार गलतफहमी की वजह से लोग ऐसी जानकारी दे देते हैं, जो सही नहीं होती।

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